15-09-2023
अवलोकन:-
- किताब:- इब्नेबतूती
- लेखक:- दिव्य प्रकाश दुबे
- शैली:- प्रेम कहानी
- पेज:- 160
- प्रकाशनः- हिन्द युग्म
मेरी समीक्षा:-
इब्नेबतूती कुमार आलोक और शालू की प्रेम कहानी है, जो एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। मंडल आयोग के लागू होते ही आरक्षण को लेकर शहर में दंगे होने लगे और उनकी दिशा अलग हो गई और जीवन बदल गया। आलोक अपने गृहनगर चला गया और शालू के परिवार ने उसकी शादी किसी और से तय कर दी। उन्होंने एक बच्चे को भी जन्म दिया और उसका नाम राघव रखा और वह उसका पालन-पोषण करने लगीं। उधर कुमार आलोक का अपना एजेंडा है और वो कुछ और ही करने लगे हैं. शालू के पति की जल्द ही मृत्यु हो गई और राघव और शालू अकेले रहकर राघव का पालन-पोषण करने लगे। उसकी एक दोस्त है जिसका नाम निशा है जो राघव से बहुत प्यार करती है और वह भी उससे बहुत प्यार करता है, वह बहुत बुद्धिमान और अच्छी लड़की भी है।
कहानी बहुत ही खूबसूरती से लिखी गई है, जैसे दिव्य प्रकाश दुबे अपनी हर रचना लिखते हैं। आप भी इस किताब को पढ़कर उत्साहित और रोमांचित हो जायेंगे, यह उतनी ही अच्छी है। कहानी लखनऊ की पृशभूमि पर आधारित है जहां लखनऊ के स्थानों का बहुत वर्णन है जो कहानी के अंदर उत्कृष्ट है। उपन्यास के हर पात्र चाहे वह शालू, आलोक, राघव, बंगाली जी, निशा या कोई अन्य पात्र हों, सभी को सावधानी से बुना गया है। यह किताब 160 पन्नों में संकलित है और कहानी का कथानक बेहद रोमांटिक और मनोरंजक है।
समापन नोट्स:-
मैंने अक्टूबर जंक्शन पढ़ने के बाद यह पुस्तक खरीदी है और इस पुस्तक को पढ़ने के दौरान मैंने वास्तव में इसका आनंद लिया। यह बहुत अच्छी प्रेम कहानी है. मैंने इसे 2 दिन में पूरा कर लिया. अवश्य पढ़ें।